ब्रेकिंग
स्व. सुरेन्द्र शुक्ला मेमोरियल क्रिकेट प्रतियोगिता संपन्न उ. प्र. प्रधानाचार्य परिषद -प्रयागराज के तत्वाधान मे -डॉ. के. पी. जायसवाल इ. क. मुट्ठी गंज -प्रयागरा... राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 1,37,335 वादों का हुआ निस्तारण: बीमा कंपनियों से ₹4 करोड़ से अधिक का दिल... 5S Farm को मिलेनियम फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड 2025 में ‘नेचुरल फार्मिंग उत्कृष्टता सम्मान’ से सम्मानित... एसपी ने नई 12 पीआरवी (पुलिस रेस्पॉन्स व्हीकल) गाड़ियों को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना  SIR) का 100 % व प्रथम चरण का कार्य हुआ पूरा: SIR प्रकिया के तहत कुल 5 लाख 9 हजार 813 मतदाताओं के नाम... डीएम की अध्यक्षता में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक सम्पन्न, रंजिश में परिवार पर हमला, पति–पत्नी व पुत्री गंभीर बाघराय पुलिस ने कन्हैया नगर से गैंगस्टर एक्ट में वांछित 25 हजार का इनामी को किया गिरफ्तार प्रतापगढ़ पुलिस का ऑपरेशन दस्तक शुरू, अपराधियों की डिजिटल हाजिरी अनिवार्य--- एसपी
Global भारत न्यूज़उत्तरप्रदेशप्रतापगढ़

स्वतंत्रता…. जहां राष्ट्रीय कर्तव्य भूलते नागरिक उठाते है सवाल

भारतीयों को आत्ममंथन की जरूरत बिना राष्ट्रीय दायित्व निभाए देश प्रेम का राग अधूरा

स्वतंत्रता…. जहां राष्ट्रीय कर्तव्य भूलते नागरिक उठाते है सवाल

भारतीयों को आत्ममंथन की जरूरत, बिना राष्ट्रीय दायित्व निभाए देश प्रेम का राग अधूरा

ग्लोबल भारत डेस्क: कितने अरमानों ने जलाया था खुद का दामन तभी हम सब को मिली अहले वतन आजादी..स्वतंत्रता दिवस पर हर भारतीय ने खुले मन से मनाया, बड़े बड़े आयोजन हुए झंडे फहराए गए, कसमें खाई गई और शहीदों को नमन करके हमने स्वतंत्रता दिवस तो मना लिया लेकिन क्या हम इसी उत्साह के साथ अपने राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करते है।

ये सवाल सभी पर बराबर लागू होता है, जरूरत आत्म मंथन की क्या हमारा देश जातीयता, धर्मांधता और क्षेत्रवाद का शिकार नहीं होता जा रहा है। सबको सोचना पड़ेगा कि कब तक जाति धर्म के नाम पर हम भिड़ते रहेंगे। राष्ट्रीय कर्तव्य और देश पहले होना चाहिए जाती,धर्म और परंपराएं किसी कीमत पर देश के ऊपर नहीं हो सकती।


विचार होना जरूरी है और उन विचारों पर अमल करना भी जरूरी है। केवल राजनेता और सिस्टम के सहारे कुछ नहीं होगा जब तक हर भारतीय अपने कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं होगा।आजाद होने पर सब से ज्यादा किसे फायदा हुआ और सबसे ज्यादा लाभ उठाने वाले देश के प्रति कितने ईमानदार है ये देखने का ही नहीं समझने का विषय है।

अलग देश, इस देश में अलग सुविधा और श्रेणी पाने के बावजूद क्या वो देश के प्रति उतने समर्पित है जितना आजादी से लाभ मिला है ये भी मंथन का विषय है। क्यों कि प्रायः देखने को मिलता है कि कुछ ऐसे लोग है जो जाति पर बात आते ही देश के साथ दोहरा मानदंड अपनाते है ये ऐसे सवाल है जिनपर खुले मन से विचार की आवश्यकता है।

क्या आजादी अधूरी है … एक नन्हा बालक काव्य पाठ कर रहा था कि 15 अगस्त का दिन कहता आजादी अभी अधूरी है, सपने सच होने बाकी है रावी की शपथ न पूरी है, ये चंद लाइनें किसी भी राष्ट्र प्रेमी को सोचने पर मजबूर कर सकती है। 21वी सदी के भारत में आज भी धर्म और जाति देश से उपर देखी जा रही है। अयोग्य नेता महज इस लिए जीत रहे है क्यों कि उनकी जाति के लोग उन्हें देश के ऊपर देखते है और यही से पतन का मार्ग शुरू हो जाता है।


राजा भैया जो जनसत्ता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष है उनके द्वारा विधानसभा में दिए गए वक्तव्यों से एक बात समझ में आती है कि जिस तरह से बेबाक उन्होंने कुछ विषयों को छुआ है, क्या देश में ऐसे राजनेताओं की कमी नहीं है जो ललकार कर गलत को गलत कहने का दुस्साहस दिखा पाते है। देश के लिए बिना पार्टी लाइन से ऊपर उठे, बिना जाति और धर्म का चश्मा उतारे राष्ट्रहित के लिए सोच नहीं रख सकते। प्रधानमंत्री ने लालकिले से आह्वान किया कि पीढ़ियों बलिदान हुई थी तब जाकर आजादी नसीब हुई उसी तरह वर्तमान पीढ़ी को अपना सबकुछ देना पड़ेगा देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, समृद्ध बनाने के लिए। हमें अपना दृष्टिकोण बदलना होगा विचारों में राष्ट्रप्रेम लाना होगा तब जाकर सही मायनों में आजादी की बात करना उचित रहेगा।

Vinod Mishra

सामाजिक सरोकारो पर सीधी पकड़ और बेबाक पत्रकारिता के लिए समर्पित...ग्लोबल भारत न्यूज़ संस्थान के लिए सेवा

यह भी पढ़ें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button